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हो न हो !
हो न हो !
प्रकाशक :
माण्डवी प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2012 |
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 8804
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आईएसबीएन :8182120578 |
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सुधीर मौर्य की कविताएं भाव और भाषा में सौंधी ताजगी देती हैं, जो आकर्षक भी हैं व अपनी छाप भी मन पर छोड़ती हैं
Ek Break Ke Baad
सुधीर मौर्य की कविताएं भाव और भाषा में सौंधी ताजगी देती हैं, जो आकर्षक भी हैं व अपनी छाप भी मन पर छोड़ती हैं।
प्रीत के रंग
इन दिनों
पलाश सा खिला है
चेहरा उसका
कोमल सी कुड़क है
होठों पे उसके
झील सी आंखें करती हैं
अठखेलियाँ उसकी
खिलने लगी है
चन्दिमा पूनम की
गालों में उसके
हिरन सी लचक है
चाल में उसकी
लगता है जैसे
अवतरित हुआ है मधुमास
शरीर में उसके
हो न हो
चढ़ने लगा है उसपे
प्रीत का रंग किसी-
का इन दिनों।
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